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Thursday, 31 January 2013

मेरा भारत महान



मेरा भारत महान 
विश्व के लिए शांति का दूत
राम राज्य का सबूत 
स्वतन्त्रता की पहचान
 
अब भी क्या यही परिचय है बाकी 
या मात्र बाकी हैं बातें किताबी 
कहाँ लुप्त हो गया वो भारत हमारा 
जिस पर फक्र करता था तिरंगा प्यारा

आदर्श भारत की नींव 
क्या इतनी पीछे गयी है छूट 
या जननी जन्मभूमि को 
कृतघ्नता का उपहार है यह गर्वस्वरूप

जिन वीरों ने मात्रभूमि पर 
सर्वस्व का बलिदान दिया 
हमने श्रद्धांजलि के नाम पर 
उन्हें देशभक्तों का नाम दिया

शाबाश! मेरे देशवासियों 
देशभक्तों के लहू को नीर समझ भुलाया है 
ठीक स्वतंत्रता के बाद देश का 
बंटवारा कर कलंक लगाया है
 
हमारे देश की प्रगति ने 
क्या यही रंग दिखाया है 
बापू को तमंचा इंदिरा को मशीनगन 
और राजीव को बम का शिकार बनाया है

मैं यह नहीं कहती 
हम मात्रभूमि को चाहते नहीं 
गुणगान से क्या होता है 
यदि काम कभी आते नहीं

अब भी समय है जाग जाओ 
निर्जीव आत्मा को फिर उठाओ 
लहु में जीवन की रवानी लाओ 
गुणगान सहित कुछ कर दिखाओ 
कुछ कर दिखाओ, कुछ कर दिखाओ!!

 

Poetry by:Shruti Saraswat 
PGDMC- II Year