मेरा भारत महान
विश्व के लिए शांति का दूत
राम राज्य का सबूत
स्वतन्त्रता की पहचान
अब भी क्या यही परिचय है बाकी
या मात्र बाकी हैं बातें किताबी
कहाँ लुप्त हो गया वो भारत हमारा
जिस पर फक्र करता था तिरंगा प्यारा
आदर्श भारत की नींव
आदर्श भारत की नींव
क्या इतनी पीछे गयी है छूट
या जननी जन्मभूमि को
कृतघ्नता का उपहार है यह गर्वस्वरूप
जिन वीरों ने मात्रभूमि पर
जिन वीरों ने मात्रभूमि पर
सर्वस्व का बलिदान दिया
हमने श्रद्धांजलि के नाम पर
उन्हें देशभक्तों का नाम दिया
शाबाश! मेरे देशवासियों
शाबाश! मेरे देशवासियों
देशभक्तों के लहू को नीर समझ भुलाया है
ठीक स्वतंत्रता के बाद देश का
बंटवारा कर कलंक लगाया है
हमारे देश की प्रगति ने
क्या यही रंग दिखाया है
बापू को तमंचा इंदिरा को मशीनगन
और राजीव को बम का शिकार बनाया है
मैं यह नहीं कहती
मैं यह नहीं कहती
हम मात्रभूमि को चाहते नहीं
गुणगान से क्या होता है
यदि काम कभी आते नहीं
अब भी समय है जाग जाओ
अब भी समय है जाग जाओ
निर्जीव आत्मा को फिर उठाओ
लहु में जीवन की रवानी लाओ
गुणगान सहित कुछ कर दिखाओ
कुछ कर दिखाओ, कुछ कर दिखाओ!!
Poetry by:Shruti Saraswat
PGDMC- II Year
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